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प्रकृति का अपना सिस्टम है
उससे कोई बच न पायेगा।
होगा कर्म जैसा वैसा ही
परिणाम आयेगा।
समय की चाल उसकी है
मनुज के समझ से उपर।
गीता ज्ञान है जिसका
बडा संविधान है जिसका ।
उसके न्याय के परिणाम
का फल समझ न आयेगा।
रोयेगा हसेगा तू
कर्म के परिणाम को पाकर।
मौन लाठी की मार
तू किसी से कह न पायेगा।
हर पल का लेखा जोखा
तेरा है प्रकृति के पास।
तू यहाँ बच ले पर
वहाँ से बच न पायेगा।
होगा कर्म जैसा
निश्चित वैसा परिणाम आयेगा।
कवि-मानवेन्द्र उर्फ रिंकू उपाध्यक्ष
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संपादकीय
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