SDM और तहसीलदार में क्या अंतर है ? इनकी नियुक्ति और इनके क्या क्या कार्य होतें है ?

SDM और तहसीलदार में क्या अंतर है ? इनकी नियुक्ति और इनके क्या क्या कार्य होतें है ?


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SDM (उपजिलाधिकारी) और तहसीलदार के पदों में कार्यों और सिनियोरिटी का काफी अंतर होता है, दोनों का सेलेक्शन प्रोसेस से लेकर प्रमोशन भी अलग-अलग तरीके से होता है। SDM ज्यादातर राज्यों में UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) से चयनित IAS होते हैं, उनका राज्यों में यह शुरुआती पद माना जाता है तो वहीं तहसीलदार का चयन PCS (स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन) के तहत किया जाता है। इनका ट्रांसफर सिर्फ राज्यों तक ही सीमित होता है। इनका कार्य रेवेन्यू से जुड़ा हुआ होता है।
● आइए हम आपको विस्तार से इसके बारे में बताते हैं.
Sub Divisional Magistrate (SDM)
अनुमंडल अधिकारी (SDM) अनुमंडल का मुख्य सिविल अधिकारी होता है और इनके पास लगभग डीएम के समान ही कार्य होता है, लेकिन विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए डीएम द्वारा SDM को निर्देशित किया जाता है। SDM के पास सब डिवीजन में कार्य का समन्वय करने के लिए पर्याप्त शक्तियां होती है, वह तहसीलदारों और उनके कर्मचारियों पर सीधा नियंत्रण रखता है, वह नियमित मामलों पर सरकार और अन्य विभागों से सीधे संपर्क करने के लिए सक्षम होते है। UPSC, CSE के माध्यम से भर्ती होने पर SDM एक परिवीक्षाधीन स्तर का अधिकारी होता है। PCS से एक तहसीलदार को भी 20-23 साल की सेवा के बाद SDM के लेवल पर प्रमोट किया जाता है।
● SDM (Sub Divisional Magistrate) का काम-
डिप्टी कमिश्नर की तरह उनके मुख्य ड्यूटीज में राजस्व, एक्जीक्यूटिव और ज्यूडिशियल कार्य शामिल हैं। राजस्व मामलों में वह असिस्टेंट कलेक्टर प्रथम श्रेणी का है, लेकिन कुछ अधिनियमों के तहत कलेक्टर की शक्तियाँ उसे सौंपी गई हैं। सब डिवीजनल ऑफिसर के अधिकार क्षेत्र में राजस्व, मजिस्ट्रेटी, एक्जीक्यूटिव और विकास मामलों से संबंधित शक्तियां और जिम्मेदारियां डिप्टी कमिश्नर के समान होतीं है। उनके राजस्व ड्यूटी में मूल्यांकन से लेकर भू-राजस्व के संग्रह तक सभी मामलों का पर्यवेक्षण और निरीक्षण शामिल है। अनुमंडल में सभी अधिकारियों के कार्य का समन्वय, विशेष रूप से अनुमंडल के भीतर राजस्व, कृषि, पशुपालन और जन स्वास्थ्य विभागों में रहता है, उनके मजिस्ट्रियल ड्यूटी में सब डिवीजन में पुलिस के साथ संपर्क और समन्वय करना भी शामिल है।
● तहसीलदार (Tehsildar)-
तहसीलदार और नायब तहसीलदार, राजस्व प्रशासन में प्रमुख अधिकारी हैं और असिस्टेंट कलेक्टर II कैटेगरी की शक्तियों का प्रयोग करते हैं। एक तहसीलदार को नायब तहसीलदार से प्रमोट किया जाता है। विभाजन के मामलों का निर्णय करते समय तहसीलदार असिस्टें कलेक्टर I कैटेगरी की शक्तियों को रखता है। राज्य लोक सेवा आयोग (PCS) के माध्यम से तहसीलदार का चयन किया जाता है और उसे एक जिले के तालुका या तहसील में राजस्व एकत्र करने और रिकॉर्ड बनाए रखने का काम सौंपा जाता है। तहसीलदार SDM का जूनियर लेवल का अधिकारी होता है।
●  तहसीलदार (Tehsildar) का काम-
तहसीलदार का मुख्य कार्य राजस्व संग्रह करना होता है। तहसीलदार और नायब तहसीलदार को अपने क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर दौरा करना पड़ता है। राजस्व रिकॉर्ड और फसल के आंकड़े भी उनके द्वारा बनाए रखे जाते हैं। तहसीलदार और नायब-तहसीलदार भूमि राजस्व और सरकार को देय अन्य देय राशि के संग्रह के लिए जिम्मेदार होता है। अधीनस्थ राजस्व कर्मचारियों के संपर्क में रहने के लिए मौसमी परिस्थितियों और फसलों की स्थिति का निरीक्षण के दौरान किसानों की कठिनाइयों को सुनना और सक्रिय ऋण को वितरित करना तहसीलदार और नायब-तहसीलदार के अधिकार क्षेत्र में होता है। इसके बाद वे तत्काल मामलों की सुनवाई करते हैं साथ ही खाता बही में सुधार, प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे लोगों को राहत प्रदान करना आदि शामिल होता है। दौरे से लौटने पर वे रिपोर्ट तैयार करते हैं और सरकार को भू-राजस्व में छूट या निलंबन की सिफारिश करते हैं। इसके अलावा अभिलेखों को अपडेट भी रखते हैं।







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