Jaunpur News : पत्रकार आशुतोष श्रीवास्तव हत्याकांड मामले में न्याय की प्रक्रिया अब सवालों के घेरे में है। एक ओर जहां इनामी मुल्जिम ने आत्मसमर्पण कर दिया है, वहीं दूसरी ओर प्रमुख नामजद आरोपी नासिर जमाल को बचाने के प्रयास तेजी से किए जा रहे हैं। इस मामले में लगातार यह आरोप लग रहे हैं कि जांच में निष्पक्षता नहीं बरती जा रही है और पैसे के बल पर मामले को मोड़ने की कोशिश हो रही है। पत्रकार के भाई संतोष श्रीवास्तव ने बताया कि पुलिस अधीक्षक ने हाल ही में इस हत्याकांड में शामिल एक इनामी अपराधी सिकंदर आलम का आत्मसमर्पण की पुष्टि की है, लेकिन इस महत्वपूर्ण गिरफ्तारी के बाद भी फरार नामजद अभियुक्त नासिर जमाल के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई न होना कई सवाल खड़े करता है। स्थानीय लोगों और पत्रकार संगठनों का आरोप है कि रसूख और पैसों के दबाव में आरोपी को बचाने का खेल चल रहा है। इस हत्याकांड में अभी तक अज्ञात हमलावरों की पहचान नहीं हो सकी है, जिससे यह शक और गहराता जा रहा है कि जानबूझकर मामले को उलझाया जा रहा है। जनता और मृतक पत्रकार के भाई , वादी मुकदमा संतोष श्रीवास्तव की मांग है कि सभी अज्ञात हमलावरों की पहचान कर जल्द से जल्द गिरफ्तारी की जाए। वहीं, इस केस में हो रही देरी को लेकर आम जनमानस और सामाजिक संगठनों में गहरी नाराज़गी है। उनका कहना है कि "न्याय में देरी, अन्याय के बराबर" होती है, और यदि इस मामले में शीघ्रता से निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह कानून व्यवस्था और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक गंभीर संकेत होगा। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि प्रशासन का रवैया ढीला है और यह केस अगर इसी तरह लटकाया गया तो पत्रकारों के मन में भय और असुरक्षा का माहौल और गहरा जाएगा।आशुतोष श्रीवास्तव हत्याकांड केवल एक पत्रकार की हत्या नहीं है, यह पत्रकारिता की स्वतंत्रता और जनसंवाद की हत्या भी है। ऐसे मामलों में न्याय का समय पर और पारदर्शी रूप से मिलना न केवल पीड़ित के परिवार के लिए बल्कि पूरे लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।
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