जौनपुर। मुंगराबादशाहपुर ब्लॉक के गांव फत्तूपुर कला (कैथापुर) में एक अजीबोगरीब बीमारी ने कई परिवारों को अपनी चपेट में ले लिया है। इस बीमारी की वजह से पीड़ितों के हाथ-पैर धीरे-धीरे टेढ़े होते जा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि कई पीढ़ियों से यह समस्या एक ही समुदाय के परिवारों में देखी जा रही है। लेकिन गांव क्षेत्र के प्रतिनिधियों को लोगों की समस्याओं से कोई लेना देना नही है। गांव में बीमारियां किन कारणों से बढ़ रही है और लोगों को कैसे प्रभवित कर रही है सरकार को अधिकारियों कर्मचारियों से जांच करानी चाहिए।
■ एक ही परिवार के तीन सदस्य दिव्यांग-
गांव के स्वामीनाथ गौतम (55 वर्ष) व उनकी पत्नी प्रेमा देवी (50 वर्ष) की शादी के करीब 15 वर्ष बाद पैरों में टेढ़ापन शुरू हो गया। उनकी पुत्री साधना गौतम (18 वर्ष) को भी जन्म के लगभग पांच वर्ष बाद यही समस्या हुई। वहीं उनके पुत्र शिवपूजन गौतम (14 वर्ष) को जन्म से ही पांच वर्ष की उम्र के बाद हाथ-पैर टेढ़े होने लगे कारण आज तक नही पता चल सका।
■ गांव में पहले भी हो चुकी हैं मौतें-
इसी गांव के राधेश्याम गौतम की पत्नी स्व. सीता देवी और पुत्री स्व. रोशनी की मौत इसी बीमारी की वजह से हो चुकी है। वहीं स्व. लालमन गौतम के पुत्र सुरेंद्र गौतम और राजेंद्र गौतम भी दिव्यांग जीवन जी रहे हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी जनप्रतिनिधियों की आंखें नही खुली की इस बीमारी के बारे में जिलाधिकारी मुख्य चिकित्साधिकारी को बताया जाय।
■ पीड़ित बोले – सरकार का बजट सिर्फ कागजों तक सीमित-
पीड़ित परिवारों का कहना है कि सरकारी सुविधाओं से उन्हें वंचित रखा गया है। दिव्यांग जनों के लिए बजट तो बनाया जाता है लेकिन जमीनी स्तर पर मदद न के बराबर मिलती है।
■ समाजवादी पार्टी की मदद-
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्रेरणा से पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष, अधिवक्ता सभा एवं समाजवादी कुटिया जौनपुर के संस्थापक ऋषि यादव (एडवोकेट) गांव पहुंचे। इस दौरान उन्होंने शिवपूजन गौतम को एक साइकिल, बैग और पठन-पाठन सामग्री भेंट की। उन्होंने कहा कि समाजवादी विचारधारा यही है कि कोई भी दिव्यांग बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।
■ बीमारी की संभावित वजह-
विशेषज्ञों के अनुसार यह समस्या “क्लबफुट (Clubfoot)” या “पोलियो/न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर” जैसी बीमारियों से जुड़ी हो सकती है।
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क्लबफुट में बच्चों के जन्म के बाद धीरे-धीरे पैर टेढ़े हो जाते हैं।
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न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर में मांसपेशियों और नसों पर असर पड़ता है, जिससे हाथ-पैरों में विकृति आ जाती है।
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समय पर इलाज (ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से परामर्श, फिजियोथेरेपी और ऑपरेशन) कराने से स्थिति सुधारी जा सकती है।
■ गांव के लोग बोले – हमें इंसाफ चाहिए-
गांववासियों ने प्रशासन से अपील की है कि दिव्यांग परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ तत्काल उपलब्ध कराया जाए। साथ ही बीमारी की वैज्ञानिक जांच कराई जाए ताकि आने वाली पीढ़ियों को इससे बचाया जा सके।
👉 इस खबर को पत्रकार बंधु सामाजिक, मानवीय और राजनीतिक पहलुओं को साथ लेकर ज्यादा से ज्यादा प्रकाशित करें और डिजिटल मीडिया इन्हें दिखाए जिससे गांव में वैज्ञानिक तरीके से जांच हो सके रिसर्च हो सके और बीमारी के कर्म का पता चल सके।
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