रिपोर्ट- ज्योति मौर्या जौनपुर / वाराणसी
यह आयोजन बजाज फाइनेंस के “नॉक आउट डिजिटल फ्रॉड” नामक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान एवं उत्तर प्रदेश पुलिस के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में लगभग 150 छात्र-छात्राओं एवं फैकल्टी सदस्यों ने सहभागिता की।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए विदुष सक्सेना ने कहा कि अगर लोग साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक नहीं होंगे, तो कोई दसवीं पास व्यक्ति भी मिनटों में उनका बैंक अकाउंट खाली कर सकता है। उन्होंने बताया कि हर उम्र व व्यवसाय के लोगों को ठगने के तरीके बिल्कुल अलग-अलग होते हैं और फ्रॉड करने वाले हर प्रोफाइल के हिसाब से अपनी रणनीति तैयार करते हैं।
साइबर सुरक्षा पर विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि साल 2024 में साइबर ठगों ने भारतीयों के 24 हजार करोड़ रुपए ठगे हैं, और यह पैसा चीन, कंबोडिया, दुबई तथा अन्य देशों में पहुंच रहा है। पिछले समय में कई मामले 1 करोड़ रुपये की ठगी के सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि यदि लोग सावधान रहेंगे, अपनी निजी जानकारी सुरक्षित रखेंगे, लोकेशन शेयर नहीं करेंगे, तो साइबर क्राइम से बच सकते हैं और पुलिस के पास आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि हर 10 सेकंड में नए तरीके से साइबर ठगी की जा रही है।
कार्यक्रम में साइबर सेल एक्सपर्ट विराट सिंह ने भी विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं। उन्होंने कहा कि लोग साइबर जागरूकता को हल्के में लेते हैं और इसी कारण ठगी का शिकार बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि लगभग 18 से 20 तरीकों से साइबर ठगी की जा रही है।
कार्यक्रम में कॉलेज प्रबंधक नागेश्वर सिंह, प्राचार्य डॉ. आनंद सिंह, सब इंस्पेक्टर आकांक्षा सिंह, निकिता सिंह, जितेंद्र सिंह, बजाज फाइनेंस के रिस्क कंटेनमेंट यूनिट से शशिकांत तिवारी, जय वर्मा सहित बड़ी संख्या में कॉलेज के सदस्य मौजूद रहे।
● बजाज फाइनेंस की राष्ट्रव्यापी पहल
बजाज फाइनेंस लिमिटेड (BFL), जो भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी है और बजाज फिनसर्व का हिस्सा है, राष्ट्रव्यापी वित्तीय साक्षरता और साइबर फ्रॉड जागरूकता कार्यक्रम चला रही है। इसका उद्देश्य डिजिटल उपयोगकर्ताओं को विभिन्न साइबर खतरों से अवगत कराना और वित्तीय सुरक्षा के सर्वोत्तम उपाय सिखाना है।
यह अभियान भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के 2024 फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट दिशानिर्देशों के अनुसार चलाया जा रहा है, जिसमें प्रारंभिक पहचान, स्टाफ जवाबदेही और जनसहभागिता को डिजिटल इकोसिस्टम की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।
कार्यक्रम में ओटीपी, पिन साझा न करने, संदिग्ध ईमेल, एसएमएस, लिंक और क्यूआर कोड से बचने, तथा अज्ञात स्रोतों से ऐप डाउनलोड नहीं करने जैसी महत्वपूर्ण सलाह दी जाती है। साथ ही इंटरैक्टिव वर्कशॉप, डिजिटल अवेयरनेस ड्राइव और प्रमुख शहरों-कस्बों में सामुदायिक पहुंच गतिविधियों का भी आयोजन किया जा रहा है।
यह पहल उन सामान्य वित्तीय धोखाधड़ियों पर भी ध्यान आकर्षित करती है, जो फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट, व्हाट्सऐप ग्रुप और फर्जी वेबसाइटों के माध्यम से की जाती हैं, जो असली वित्तीय कंपनियों की नकल कर उपयोगकर्ताओं को भ्रमित करती हैं।
संवाददाता- ज्योति मौर्या जौनपुर वाराणसी
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