रिपोर्ट- लक्ष्मण कुमार चौधरी
खुटहन (जौनपुर)। दिनांक 24 सितंबर 2025 को तहसील शाहगंज अंतर्गत तहसील स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन ग्राम विकास इंटर कॉलेज खुटहन के प्रांगण में हुआ। प्रतियोगिता का संचालन शाहगंज तहसील के क्रीड़ा संयोजक जयप्रकाश सिंह (प्रधानाचार्य बृजेश इंटर कॉलेज गुलालपुर) एवं सहसंयोजक अरविंद कुमार (प्रधानाचार्य ग्राम विकास इंटर कॉलेज खुटहन) की देखरेख में संपन्न हुआ।
प्रतियोगिता का परिणाम :
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अंडर-19 बालक वर्ग : विजेता – ग्राम विकास इंटर कॉलेज खुटहन, उपविजेता – सहकारी इंटर कॉलेज मेहरावां
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अंडर-17 बालक वर्ग : विजेता – ग्राम विकास इंटर कॉलेज खुटहन, उपविजेता – सरकारी इंटर कॉलेज मेहरावां
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अंडर-19 बालिका वर्ग : विजेता – ग्राम विकास इंटर कॉलेज खुटहन, उपविजेता – बृजेश इंटर कॉलेज गुलालपुर
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अंडर-17 बालिका वर्ग : विजेता – सुंदर साव इंटर कॉलेज जैगहां, उपविजेता – ग्राम विकास इंटर कॉलेज खुटहन
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना (साक्षी आन्वी व आस्था) तथा स्वागत गीत (सेजल, एकता, प्राची – बृजेश इंटर कॉलेज खुटहन) द्वारा किया गया।
तहसील प्रभारी के रूप में कृष्ण मोहन यादव (पीटीआई इंटर कॉलेज गुलालपुर) तथा शहर तहसील प्रभारी संजय कुमार यादव (खुटहन) मौजूद रहे। वहीं प्रतियोगिता में सहयोग देने वाले अन्य खेल प्रशिक्षकों व अध्यापकों में श्रीकृष्णा नंद यादव, तेज बहादुर, रामेश्वर दास गोस्वामी, सुनील कुमार, बाबूलाल सोनकर, श्री बैजनाथ, विकास सिंह, सुरेश कुमार यादव, सुनीता मिश्रा एवं पूजा शर्मा शामिल रहे।
इस प्रतियोगिता में ग्राम विकास इंटर कॉलेज खुटहन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए विभिन्न वर्गों में अपनी बढ़त बनाए रखी और अधिकतर खिताब अपने नाम किए।
■ प्रधानाचार्य अरविंद कुमार ने कबड्डी खेल का बताया फायदा- भारतीय खेलों की परंपरा में कबड्डी का अपना विशेष स्थान है। यह खेल गाँव की चौपाल से लेकर अंतर्राष्ट्रीय मंच तक पहुँचा है। प्रो-कबड्डी लीग जैसी प्रतियोगिताओं ने न केवल खिलाड़ियों को पहचान दी है बल्कि ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले युवाओं के लिए रोजगार और सम्मान के नए अवसर भी खोले हैं।
■ शारीरिक स्वास्थ्य का आधार-
कबड्डी खेलने से शरीर मजबूत बनता है। दौड़ना, छूना और पकड़ना जैसी गतिविधियाँ मांसपेशियों को ताकतवर बनाती हैं। इसमें सांस रोकने की तकनीक (कैंट) खिलाड़ियों के फेफड़ों और हृदय को मजबूत करती है। यह खेल सहनशक्ति, लचीलापन और फुर्ती विकसित करता है। मोटापा घटाने और फिटनेस बनाए रखने में कबड्डी बहुत प्रभावी है।
■ मानसिक विकास का साधन-
कबड्डी केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक खेल भी है। इसमें खिलाड़ी को तुरंत निर्णय लेना पड़ता है। इससे एकाग्रता, आत्मविश्वास और रणनीतिक सोच की क्षमता बढ़ती है। हार-जीत का अनुभव जीवन में धैर्य और संतुलन का भाव पैदा करता है।
■ टीम भावना और सामाजिक जुड़ाव-
कबड्डी पूरी तरह से टीम गेम है। इसमें खिलाड़ियों को आपसी तालमेल और सहयोग दिखाना होता है। यह बच्चों और युवाओं में अनुशासन, एकता और टीमवर्क की भावना को मजबूत करता है। खास बात यह है कि कबड्डी किसी महंगे उपकरण के बिना आसानी से खेली जा सकती है, इसलिए यह हर वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं के लिए सुलभ है।
■ करियर और अवसर-
आज कबड्डी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से लोकप्रिय हो रही है। खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियों, पुरस्कारों और आर्थिक सहयोग के अवसर भी मिलते हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि के कई खिलाड़ी अब देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
👉 कबड्डी वास्तव में केवल खेल नहीं बल्कि स्वास्थ्य, अनुशासन और आत्मविकास का मंत्र है। यही कारण है कि यह खेल गाँव की मिट्टी से निकलकर अब विश्व पटल पर भारत की पहचान बन चुका है।
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