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Jaunpur News : 2026 में साइबर अपराधियों से सुरक्षा का एकमात्र रास्ता ‘जीरो ट्रस्ट’ मॉडल : डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर

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रिपोर्ट- लक्ष्मण कुमार चौधरी
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के साइबर क्लब के नोडल अधिकारी डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर ने कहा कि वर्ष 2026 साइबर सुरक्षा के लिहाज़ से अत्यंत चुनौतीपूर्ण और निर्णायक वर्ष साबित होने जा रहा है। बदलते डिजिटल परिदृश्य में साइबर अपराधियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आम नागरिकों को मानसिक, तकनीकी और व्यवहारिक रूप से स्वयं को तैयार करना होगा।

● ‘जीरो ट्रस्ट मॉडल’ अब विकल्प नहीं, अनिवार्यता-

डॉ. राठौर ने स्पष्ट किया कि आज की साइबर दुनिया में ‘जीरो ट्रस्ट मॉडल’ अपनाए बिना सुरक्षा संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किसी भी कॉल, लिंक, ईमेल या संदेश पर बिना सत्यापन के विश्वास करना सबसे बड़ी चूक है।
जब तक लोग डिजिटल संदेशों और कॉल्स पर अंधविश्वास करना नहीं छोड़ेंगे, तब तक साइबर अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण संभव नहीं होगा।

● डर और विश्वास — साइबर अपराधियों के सबसे बड़े हथियार-

उन्होंने बताया कि साइबर अपराधी मुख्य रूप से डर और विश्वास इन दो भावनाओं का दुरुपयोग कर लोगों को ठग रहे हैं।
आजकल सामने आ रहे ‘साइबर अरेस्ट’ जैसे नए तरीकों में अपराधी कानून का भय दिखाकर लोगों को मानसिक दबाव में लेकर तुरंत धन या जानकारी हासिल कर लेते हैं।

● AI के जरिए बढ़ेगा साइबर अपराध का खतरा-

डॉ. राठौर ने आगाह किया कि वर्तमान समय में साइबर अपराधी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे वे आसानी से लोगों का विश्वास जीत लेते हैं।
उन्होंने कहा कि 2026 में AI के माध्यम से बड़े पैमाने पर साइबर अपराध होने की आशंका है
अब केवल ओटीपी मांगना ही अपराध का तरीका नहीं रहा, बल्कि कई मामलों में मोबाइल हैक कर ओटीपी स्वतः प्राप्त किए जा रहे हैं, जो स्थिति को और गंभीर बना रहा है।

● सिर्फ सतर्कता नहीं, तकनीकी समझ भी जरूरी-

डॉ. राठौर ने कहा कि साइबर अपराधों से लड़ाई केवल जागरूकता या केवल तकनीक से नहीं, बल्कि दोनों के समन्वय से ही जीती जा सकती है
समय की आवश्यकता है कि हर नागरिक “पहले सत्यापन, फिर विश्वास” की नीति को अपने डिजिटल जीवन का हिस्सा बनाए।


● साइबर सुरक्षा के लिए आवश्यक सावधानियां-

  1. अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल को लॉक करके रखें।

  2. ईमेल और सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड मजबूत रखें और समय-समय पर बदलें।

  3. मोबाइल पर आने वाले किसी भी संदेश को ध्यान से पढ़ें और संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें।

  4. कोई भी व्यक्ति फोन पर ओटीपी मांगे तो कभी साझा न करें।

  5. किसी भी अनजान स्रोत से APK फाइल डाउनलोड न करें।

  6. अनजान नंबर से आने वाली वीडियो कॉल न उठाएं।

  7. सोशल मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें।

  8. व्हाट्सएप की प्रोफाइल फोटो केवल संपर्क सूची तक सीमित रखें।

  9. अपना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर सार्वजनिक न करें।

  10. अपनी गतिविधियां रियल टाइम में सोशल मीडिया पर साझा न करें।

  11. मोबाइल और कंप्यूटर में प्रमाणित एंटीवायरस सॉफ्टवेयर अवश्य रखें।

  12. साइबर कैफे के कंप्यूटर पर क्रेडिट/डेबिट कार्ड से भुगतान न करें।

  13. ट्रूकॉलर जैसे कॉलर आईडी ऐप का उपयोग करें, इससे संदिग्ध कॉल की पहचान होती है।

  14. किसी अन्य व्यक्ति के मोबाइल या कंप्यूटर में अपनी ईमेल आईडी लॉगिन न करें।

डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर ने आम नागरिकों से अपील की कि वे साइबर अपराध की स्थिति में घबराने के बजाय तुरंत राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें। उन्होंने कहा कि समय पर की गई शिकायत से न केवल धन की हानि रोकी जा सकती है, बल्कि अपराधियों तक पहुँच बनाना भी आसान होता है।

उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल साक्षरता ही भविष्य की सबसे बड़ी सुरक्षा है, और इसके लिए शैक्षणिक संस्थानों, परिवारों तथा समाज को मिलकर निरंतर जागरूकता अभियान चलाने होंगे।



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